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छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत में बासी का विशेष स्थान – विधायक सावित्री मनोज मंडावी

हमर बोरे बासी

हमर अभिमान

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बासी अर्थात रात का बचा हुआ चावल जिसे पानी में भिगोकर रखा जाता है—केवल एक पारंपरिक व्यंजन नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली, सादगी, आत्मनिर्भरता और पारंपरिक ज्ञान का प्रतीक है।

कांकेर/ खिलेश्वर नेताम:- श्रमिक दिवस के अवसर पर, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा इस दिन को ‘बासी दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज विधायक निवास, चारामा में सावित्री मनोज मंडावी द्वारा बोरे-बासी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विधायक महोदया ने सभी को श्रमिक दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।इस अवसर पर भुनेश्वर नागराज अध्यक्ष नगर पंचायत चारामा, नरेन्द्र यादव पूर्व गौ सेवा नरेन्द्र यादव हिरवेन्द्र साहू विधायक प्रतिनिधि, कमलेश रानू सेन पार्षद,अशोक सोनी पार्षद,चंद्रिका छोटी देवांगन पार्षद, चिंताराम, महेन्द्र नायक एनएसयूआई प्रदेश महासचिव,प्रेमलता सुखदेवे,अम्बिका सिन्हा,के एल मरकाम,मिथलेश सोरी पूर्व सदस्य जिला पंचायत कांकेर,विनोद साहू पूर्व एल्डरमेन सम्मिलित रहे।

 

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About Khileshwar Netam

मैं खिलेश्नेवर नेताम, Talk India Digital का मुख्य संपादक हूं। पत्रकारिता मेरे लिए सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी और सेवा का माध्यम है। वर्षों से मैं निष्पक्ष, सत्य और जनहितकारी पत्रकारिता के सिद्धांतों पर काम करता आ रहा हूं।

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