कांकेर/ खिलेश्वर नेताम :- आज ग्राम पंचायत तालाकुर्रा में डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती मनाया गया जिसमें ग्रामवासियो के द्वारा छाया पर सुमन अर्पित करते हुए पूजाअर्चना किए सरपंच विनोद रावटे अपनी उद्बोधन में भीमराव अंबेडकर की जीवन गाथा के बारे में बताया कि डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मुहूर्त छावनी मध्य प्रदेश में हुआ था डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारत के संविधान के शिल्पकार और महान समाज सुधारक थे वह दलितों के अधिकारों के प्रबल समर्थक थे उन्होंने सार्वजनिक पेयजल व्यवस्था मंदिर प्रवेश के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया था भीमराव की जयंतीमूर्ति पूजा का विरोध करते हुए बाबा साहब अम्बेडकर जी ने बहुजन समाज को 22 प्रतिज्ञाओं को मानने के लिए कहा था। बाबा साहब से पहले संत कबीरदास, संत रविदास आदि महान संतों ने भी मूर्ति पूजा का पुरजोर विरोध किया था लेकिन बहुजन समाज ने महान पुरुषों की बातों को आज तक अपने तर्क के बल पर समझने की कोशिश नही की, जो पूर्णतया दूर्भाग्य की बात है। मूर्ति पूजा एक पाखण्ड हो सकता है लेकिन जननांगों को पूजने से बड़ी मूर्खता कोई नही हो सकती। शिवतेरस के दिन महिलायें बढ़े चाव से पार्वती की यौनी तथा शंकर के लिंग रुपी काले पत्थर (शिवलिंग) की पूजा करती दिखाई देती है। जब वो कहतीं है कि उन्होंनेबीए./बीएससी / एम.ए./ एमएससी/ पीएचडी/एम.फिल/ बीएड/बीटैक / एमटैक की शिक्षा प्राप्त की है तो बहुत खुशी होती है कि हमारे देश की शिक्षा दुनिया की शिक्षा से कितनी बेहतर है।,,, दुनियां के अन्य देशों में लोग शिक्षा के माध्यम से पाखण्ड व रुढियों को समाप्त करने का कार्य करते है लेकिन भारत में और भी अधिका बढ़ावा देने का। मन्दिर के बाहर गरीब व्यक्ति भूखा वैठा रहता है लेकिन मन्दिर में रखे उस लिंग और योनि रुपी पत्थर पर दूध/मिठाई/ सेव/ संतार/केला/ बेर आदि फलों का चढावा करते है। हम जिस सभ्यता की दुहाई देते नही थकते क्या कभी सोचा है कि वह सभ्यता नही वल्कि सबसे बड़ी मूर्खता है। एक महिला को पराए मर्द से हालगाने पर भी तमाम आलोचनाओं का सामना करना पडता है साथ ही यदि कोई व्यक्ति धोखे से भी स्पर्ष हो जाता है इसी कड़ी में ग्राम अध्यक्ष संजय कुमार जैन ने बतायाएक महिला को पराए मर्द से हाथ लगाने पर भी तमाम आलोचनाओं का सामना करना पडता है साथ ही यदि कोई व्यक्ति धोखे से भी स्पर्ष हो जाता है तो उस व्यक्ति को सिंर गंजा होने की संभावना बनी रहती है। लेकिन यह क्या? यहां तो महिलाओं और पुरुष लिंग और यौनी पर हाथों से दूध बहाते है। युवतियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए शिवलिंग की पूजा करती है, क्या भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में जहां, लिग और यौन पूजा नही होती है वहाँ की महिलाओं को अच्छे पति नही मिलते? भारत में वो लोग जो लिंग और यौनी पूजा नही करते क्या उनको एक अच्छा जीवनसाथी नही मिलता? या जो लिंग और यौनी पूजा करते है क्या उन्है एक अच्छा जीवनसाथी मिल ही जाता है? वास्तव में कभी-कभी लगता है कि भारत से पाखण्ड को समाप्त करना, गधे पर सींग उगाने के समान लगता है। क्यों कि जो अशिक्षित है उनका यह दोष है कि वो शिक्षित नही है लेकिन जो शिक्षित है उनका क्या किया जाये आगे की उद्बोधन में ग्राम हमारे ग्राम के सेवन नृत्य श्री नारायण जैन ने अपने उद्बोधन देते हुए बताया कपिलआज देश संविधान निर्माता और करोड़ों दलितों व पिछड़ों के मसीहा बाबासाहेब अंबेडकर की 135वीं जयंती मना रहा है। मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे बाबासाहेब अंबेडकर अपने जमाने के सबसे पढ़े लिखे व्यक्तियों में से एक थे। डॉ. अंबेडकर एक महान राजनीतिक नेता, दार्शनिक, लेखक, अर्थशास्त्री, न्यायविद्, बहु-भाषाविद्, धर्म दर्शन के विद्वान और एक समाज सुधारक थे, जिन्होंने भारत में अस्पृश्यता और सामाजिक असमानता के उन्मूलन के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया। 14 अप्रैल को डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती होती है और इस दिन को भीम जयंती, अंबेडकर स्मृति दिवस, समानता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। अपना अस्तित्व बचाने और पढ़ाई के लिए डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर का संघर्ष, दलितों के उत्थान के लिए उनके प्रयास और आजाद भारत के संविधान के निर्माण में उनका योगदान बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत रहा है. डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर ग्राम के सरपंच विनोद रावटे,रोजगार सचिव हेमंत भुआर्य,ग्राम विकास समिति अध्यक्ष संजय कुमार जैन, सेवानिवृत शिक्षक नारायण सिंह जैन,पंचगण पूरनलाल साहू,चंद्रभान मरकाम,कुंवरलाल उइके,धनेश्वरी रावटे,देव जैन,गजानन साहू,गौतम गांवर,राजू वैष्णव,दिलेश यदु,द्वारू जैन,चेतन रावटे, मानिक जैन,सुकालू उइके, तामेश्वर साहू,हरबंश जैन,मोहन जैन,वीरेंद्र कुलदीप,महादेव यदु,आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता गायत्री यदु,सुनिता केमरो एवं समस्त ग्रामवासी उपस्थित रहे।

ग्राम पंचायत तालाकुर्रा में मनाया गया डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती !
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